ताजा समाचार

जहां कांग्रेस के कद्दावर नेता और विधायक वहीं पर गठबंधन का हारना इत्तेफाक नहीं: अनुराग ढांडा

चंडीगढ़:

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा ने शुक्रवार को प्रेसवार्ता कर कुरुक्षेत्र लोकसभा में हार पर कांग्रेस नेताओं पर भीतरघात के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि जिस विधानसभा में कांग्रेस के कद्दावर नेता और विधायक हैं, वहीं पर इंडिया गठबंधन का हार जाना इत्तेफाक नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि पूरे देश में अभी लोकसभा के चुनाव संपन्न हुए हैं। यदि देशव्यापी तरीके से देखें तो इंडिया गठबंधन को जिस मकसद से लोकतंत्र, संविधान और देश की रक्षा के लिए बनाया गया था। उस मकसद में इंडिया गठबंधन काफी हद तक कामयाब हुआ है। जो तानाशाही सरकार थी लोगों उस पर अंकुश लगा दिया है और पूर्ण बहुमत बीजेपी को नहीं दिया। इंडिया गठबंधन अपने मूल मकसद में कामयाब रहा।

उन्होंने कहा कि यदि हम हरियाणा को दृष्टि से देखें तो जो बीजेपी पिछली बार 10 सीटों पर जीती थी वो इस बार 5 सीटों पर सिमट गई। इंडिया गठबंधन बीजेपी को सभी 10 सीटों पर बुरी तरह हरा सकता था। लेकिन कुछ वजह ऐसी रही जिस कारण बीजेपी 5 सीटों पर बढ़त मिल गई। यदि ये बढ़त लोगों के समर्थन से मिली होती तो बात समझ में आती और यदि उसकी वजह भीतरघात हो तो उसकी समीक्षा होना बहुत जरूरी है।

उन्होंने कहा कि हम आम आदमी हैं और हमें अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी को राजनीति सिखाई है। उसी का नतीजा है कि आज हरियाणा की राजनीति में आम आदमी पार्टी एक मजबूत स्तंभ बनकर खड़ी है। हरियाणा राजनीति का भविष्य आम आदमी पार्टी है। मैं ये बात इसलिए कह रहा हूं कि बीजेपी और कांग्रेस के अलावा जो तीसरी ताकत इस चुनाव में उभर कर आई है वो आम आदमी पार्टी है। उन्होंने कहा है इस चुनाव में इनेलो के सभी उम्मीदवारों को पूरे हरियाणा में 1.74% यानी 2 लाख 26 हजार 52 वोट मिले, जेजेपी को 0.87% यानी 1 लाख 13 हजार 122 वोट मिले और बीएसपी भी 1.28% यानी 1 लाख 65 हजार 866 वोट लेकर हाशिए पर पहुंच गई है। यदि इन तीनों वोट जोड़ लिए जाएं तो 5 लाख 5 हजार 40 वोट बनते हैं। आम आदमी पार्टी को जो केवल एक सीट कुरुक्षेत्र पर चुनाव लड़ी थी। वहां पर 5 लाख 13 हजार वोट मिले हैं। यानी इन तीनों पार्टियां के वोट जोड़ भी लें तो उससे भी ज्यादा वोट आम आदमी पार्टी को केवल एक सीट पर मिले हैं। यदि राजनीतिक रूप से हरियाणा में तीसरी कोई सबसे बड़ी ताकत है तो वह आम आदमी पार्टी है।

उन्होंने कहा कि इन लोकसभा सीटों पर विधानसभा में बदलकर देखें तो 9 सीटों पर लड़ने वाली कांग्रेस को 42 सीटों पर बढ़त मिली है, 44 सीटों पर बीजेपी और 4 सीटें आम आदमी पार्टी ने जीती हैं। इसका मतलब बिना आम आदमी पार्टी के किसी भी पार्टी के पास बहुमत नहीं है। आज के दिन में आम आदमी पार्टी हरियाणा की राजनीति में वो बड़ी ताकत है जिसकी तरफ पूरे हरियाणा का आम आदमी देख रहा है। आने वाले दिनों से आम आदमी पार्टी पूरे हरियाणा में बहुत बड़े परिवर्तन को लाने जा रही है। पूरे हरियाणा में आम आदमी पार्टी का राज स्थापित करने के लिए गांव गांव जाकर अभियान चलाने वाली है और जो हरियाणा के युवा, बेरोजगार और किसान की लड़ाई है वापस उस धुरी पर चलने वाली है।

उन्होंने कहा कुछ ताकतों ने कोशिश की कि हरियाणा की राजनीति में नवजीवन लेकर आई आम आदमी पार्टी की भ्रूण हत्या कर दी जाए। क्योंकि उनको पता था कि आम आदमी पार्टी यदि कुरुक्षेत्र की सीट जीतती है तो ऐसा तूफान आएगा जिसमें सभी पुराने राजनीतिक दल हवा में उड़ जाते। इसलिए कुरुक्षेत्र में आम आदमी पार्टी की भ्रूण हत्या की साजिश की गई। लेकिन मैं उनको बताना चाहता हूं कि आम आदमी पार्टी अब अस्तित्व में आ चुकी है। जिसको आम आदमी चाहता है उसको सारी ताकत लगाकर भी नहीं रोक पाओगे।

उन्होंने कहा कि जो साजिशें कुरुक्षेत्र सीट पर की गई। हम प्रदेश के कार्यकर्ताओं को बुलाकर समीक्षा करेंगे तब असली वजह निकाल कर दे सकते हैं। लेकिन जो स्थानीय कार्यकर्ता हमें बता रहे हैं वो कुछ संदेह पैदा करता है। ये यकीन कर पाना संभव नहीं है कि कैथल में रणदीप सुरजेवाला कांग्रेस के इतने बड़े और राष्ट्रीय स्तर के नेता हैं और कहते हैं कि कैथल में उनका सिक्का चलता है। ये समझ आता है कि पिछले विधानसभा चुनाव में वो मुुश्किल परिस्थितियों में 500-700 वोटों से रह गए थे। लेकिन ये समझ नहीं आता कि बीजेपी के खिलाफ विरोधी लहर होने के बावजूद, कैथल के कैंपेन का प्रतिनिधित्व करने वाले रणदीप सुरजेवाला के क्षेत्र में गठबंधन 17000 वोट पिछे कैसे रह गया और सुरजेवाला अपना बूथ भी नहीं बचा पाए। दूसरी तरफ थानेसर में अशोक अरोड़ा पिछ्ले विधानसभा चुनाव में 500 वोट से हारे थे। यदि उनके क्षेत्र में गठबंधन 18000 वोट से हार जाए तो ये सब इत्तेफाक नहीं हो सकता। रादौर में और लाडवा में कांग्रेस के विधायक हैं। उन्होंने कहा क्या गजब इत्तेफाक है कि जहां जहां कांग्रेस के विधायक और कदावर नेता थे उन्हीं विधानसभा में गठबंधन हार जाता है। जहां गुहला चीका, कलायत, पेहवा और शाहबाद में कांग्रेस के नेता नहीं थे वहां पर गठबंधन जीत दर्ज कर लेता है।

उन्होंने कहा कि इसको समझने के दो तरीके हो सकते हैं। या तो ये मान लिया जाए कि रणदीप सुरजेवाला और अशोक अरोड़ा का कोई राजनीतिक अस्तित्व नहीं रहा और लोगों ने इनको पूरी तरह से नकार दिया है। यदि इनके नाम पर वोट पड़ता है तो फिर 17000 वोटों से कैसे हार गए इसका जवाब तलाशना पड़ेगा। हमारे कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस के साथ मिलकर सभी सीटों पर जमकर मेहनत की, जिसकी वजह से कांग्रेस 5 सीटों पर जीती। कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भी इस बात से निराशा है कि ये जो भीतरघात जिस तरीके से हुआ है उसका खामियाजा कहीं न कहीं भुगतना पड़ा है। आने वाले समय में आम आदमी इस बात को देख रहा है। हम आम लोगों पर इस परस्थिति को छोड़ते हैं कि वो इसको कैसे देखते हैं और आने वाले समय में इसका जवाब कैसे देते हैं। निश्चित तौर पर पूरे हरियाणा में एक एक गांव में जाकर जो हरियाणा में झाड़ू खिलकर आई है उसको हर घर तक पहुंचाना है और पूरे हरियाणा में आम आदमी का राज स्थापित करना है।

Back to top button